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Friday, December 10, 2010

[shia_strength] अमन का पैग़ाम

 

अमन का पैग़ाम

  • मुंबई लोकल ट्रेन मैं देखें इंसानों के कई चेहरे एक साथ
    मुंबई की लोकल ट्रेनों मैं सफ़र का तजुर्बा सालो रहा है ,आज कुछ ऐसा अखबार मैं पढ़ लिया की दिल चाहा आप सब से कुछ कह डालूं.  मुंबई लोकल ट्रेन मैं सफ़र करना एक जंग जीतने से कम नहीं है. कहा जाता है मुंबई एक ऐसा शहर है जो कभी नहीं सोता लेकिन मुंबई के रहने वाले लोग लोकल ट्रेन मैं खड़े खड़े भी सो लेने मैं माहिर हैं..चर्चगेट , मुंबई वीटी ,दादर,विरार इत्यादि स्टेशन मैं , ट्रेन आने के पहले स्टेशन पे खड़ी भीड़ का नज़ारा देख के अच्छे अच्छों के पसीने छूट जाते हैं. à¤"र ट्रेन रुकने…
  • जलेबी अगर ये समझे कि उससे ज़्यादा सीधा à¤"र कोई नहीं, तो समझती रहे....
    धर्म का सारा सार आ जाता है à¤"र ये चार पंक्तियाँ मैं बचपन से सुनता - बोलता आया हूँ ..आपने भी सुनी-पढ़ी होंगी : 1 धर्म की जय हो 2 अधर्म का नाश हो 3 प्राणियों में सद्भावना हो 4 विश्व का कल्याण हो -अलबेला खत्री प्यारे साथियों ! आज ज़िन्दगी में पहले से ही इतना तनाव है कि कोई भी व्यक्ति à¤"र  ज़्यादा तनाव झेलने की स्थिति में नहीं है इसके बावजूद अगर वह नये वाद विवाद खड़े करता है à¤"र बिना कारण करता है तो उसे बुद्धिजीवी  साहित्यकार अथवा कलमकार कहलाना इसलिए शोभा नहीं देगा क्योंकि इनका…
  • भले लोगों से अत्याचारियों का युद्ध था कर्बला…हमारी à¤"र से भी श्रद्धांजलि……एस एम् मासूम
    इंदौर की अर्चना जी का शुक्रिया जिन्होंने इस पोस्ट को बेहतरीन अंदाज़ मैं पढ़ा.. आप सब भी सुने. इमाम हुसैन की शहादत को नमन करते हुए हमारी à¤"र से श्रद्धांजलि…इस लेख़ के ज़रिये मैंने एक कोशिश की है  यह बताने की के धर्म कोई भी हो जब यह राजशाही , बादशाहों, नेताà¤"ं का ग़ुलाम बन जाता है तो ज़ुल्म à¤"र नफरत फैलाता    है à¤"र जब यह अपनी असल शक्ल मैं रहता है तो, पैग़ाम ए मुहब्बत "अमन का पैग़ाम " बन जाता है.  …..एस एम् मासूम एक दिन बाद माह ए मुहर्रम का चाँद आसमान पे दिखने लगेगा.…
  • ये दो भाव पुष्प अर्पण कर रहा हूँ ..अमित शर्मा
      पेश ए खिदमत है "अमन के पैग़ाम पे  सितारों की तरह चमकें की दसवीं  पेशकश अमित शर्मा जी, जो इस ब्लॉगजगत मैं तार्रुफ़ के मुहताज नहीं.. ये दो भाव पुष्प अर्पण कर रहा  हूँ , अगर अगर आप सबको पसंद आये तो खुशकिस्मत मानूंगा अपने को ----शांति à¤"र भाईचारे की आज पुरे विश्व को ज़रुरत है अ-मन अर्थात अपने मन के पूर्वाग्रहों से उत्पन्न वैमनस्य के दमन से ही समाज में अमन की बयार बह सकती है. अपने मन के विचारों को ही उत्कृष्ट मानकर समाज से अपेक्षा करना की पूरा समाज हमारे मनोअनुकूल चले, आपसी द्वेष को…
  • यहाँ पर लोग अपने फर्क को भुला कर एक खूबसूरत मकसद के लिए जुड़ते हैं…अंजना (गुडिया)
    पेश ए खिदमत है "अमन के पैग़ाम पे  सितारों की तरह चमकें की नवीं  पेशकश …अंजना जी (गुडिया) "अमन का पैगाम एक ऐसा मंच है जहाँ पर लोग अपने फर्क भुला  कर एक खूबसूरत मकसद के लिए जुड़ते हैं... अमन के लिए जुड़ते हैं! काश ये कोशिश कामयाब हो à¤"र जो नफरत à¤"र खुदगर्ज़ी की गुलामी कर रहे हैं, भाईचारे à¤"र मोहब्बत की आजाद दुनिया में जीना सीख सकें. अमन के ज़रिये ही हम आने वाली नस्ल के लिए एक ठोस मुस्तकबिल मुहय्या करवा सकते हैं...  वो, जिसने सबकुछ बनाया, सबको साँसे दीं, किसी भी मासूम के क़त्ल से…
  • ऐसे लेखों को जहाँ दूसरों को गलियां दी जा रही हो, मज़े ले-लेकर पढ़ते हैं..शाहनवाज़
    पेश ए खिदमत है "अमन के पैग़ाम पे  सितारों की तरह चमकें की आठवीं  पेशकश ब्लॉगजगत की शान एक सुलझा हुआ इंसान  ..शाहनवाज़ सिद्दीकीक्या मंदिर-मस्जिद किसी इंसान की जान से बढ़कर हो सकते है? मेरी नज़र में बुराई इन लोगो में नहीं बल्कि कहीं न कहीं हमारे अन्दर है, हम ऐसे लेखों को जहाँ दूसरों को गालियाँ दी जा रही हो, मज़े ले-लेकर पढ़ते हैं. क्या कभी हमने विरोध की कोशिश की? आज समय दूसरों को बुरा कहने की जगह अपने अन्दर झाँक कर देखने का है, मेरे विचार से शुरुआत मेरे अन्दर से होनी चाहिए. -               शाहनवाज़ सिद्दीकी…
  • देश, सदभाव à¤"र शांति। …तारकेश्वर गिरी
    पेश ए खिदमत है "अमन के पैग़ाम पे  सितारों की तरह चमकें की सातवीं   पेशकश..हर दिल अज़ीज़ .......तारकेश्वर गिरि  ....एस.एम.मासूम एक जमाना था जब महात्मा गाँधी जी ने शांति का बीड़ा उठाया था तो उस से हिंदुस्तान को तो आजादी मिली ही साथ मैं साउथ अफ्रीका जैसे पिछड़े हुए देश के लोगो को भी फायदा मिला। जिसका नतीजा आज हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि पुरे संसार में महात्मा गाँधी जी के विचारो को लोग पढ़ते हैं, तथा अपने जीवन मैं लागु भी करते हैं। मेरा अनुरोध है सभी भाई बहनों से ,मासूम साहब के चलाए इस  इस अमन के पैग़ाम को…
  • कौन-सा पैगाम... à¤"र किसके नाम...???…पूजा शर्मा
    "आज अमन के पैग़ाम पे सितारों की तरह चमकें" की छठी  पेशकश. आज मिलिए पूजा शर्मा जी से जो  ख्यालों को बेहतरीन अंदाज़ मैं कलमबंद करने मैं माहिर हैं. पूजा जी की  लेखनी की धार के सभी काएल हैं .मुझे यकीन है की एक दिन पूजा आसमान की ऊंचाइयों को छुएंगी. शुभकामनाà¤"ं के साथ पेश हैं. सच कहूं तो आज लोगों को समझाना जितना मुश्किल है उतना ही जरूरी भी...  जब यूं बात चली थी अमन, चैन की बातें करने के लिए, लोगों को समझाने के लिए, तो एक पल दिमाग सुन्न हो गया कि किसे समझाने जायेंगे??? आजकल…
  • दुश्मन.. ! …BY…देवेन्द्र पाण्डेय….विवेक रस्तोगी
    बनारस से मेरा बहुत ही गहरा रिश्ता रहा है. सुबहे बनारस दशाश्वमेघ घाट पे बैठ के देखना मेरा शौक रहा है.  आज अमन के पैग़ाम पे सितारों की तरह चमकें की पांचवी श्रेणी मैं पेश हैं ...देवेन्द्र पाण्डेय जी बनारस  से.... à¤"र ….विवेक रस्तोगी जी मुंबई से   दुश्मन.. ! तड़पता है मेरे भीतर कोई मुझसा मचलता है बार-बार बच्चों की तरह जिद करता है हर उस बात के लिए जो मुझे अच्छी नहीं लगती। वह सफेद दाढ़ी वाले मौलाना को भी साधू समझता है ! जबकि मैं उसे समझाता हूँ .. 'हिन्दू' ही साधू होते हैं वह तो…
  • इस मिट्टी में जनमा जो , आख़िर वो यहीं समाएगा !...राजेन्द्र स्वर्णकार
    पेश ए खिदमत है "अमन के पैग़ाम पे  सितारों की तरह चमकें की चौथी पेशकश ...राजेन्द्र स्वर्णकार बीकानेर से  कुछ इस तरह से "अमन का पैग़ाम दे रहे हैं….. सच में आज इंसान इंसानियत खो'कर कुछ à¤"र ही बनता जा रहा है । मेरे एक गीत की कुछ पंक्तियां आपको सादर समर्पित हैं  à¤¯à¥‡ हिंदू है ! ये है मुस्लिम ! हिंदू कहां जाएगा प्यारे ! कहां मुसलमां जाएगा ? इस मिट्टी में जनमा जो , आख़िर वो यहीं समाएगा ! ये हिंदू है ! ये है मुस्लिम !   ऊपरवाला कब कहता ? आदम की à¤"लाद ! तू…
  • ये ग़ज़ल अम्न à¤"र शांति का संदेश देने के साथ साथ एक चेतावनी भी है देश के दुश्मनों के लिये.….इस्मत जैदी
    पेश ए खिदमत है इस्मत जैदी "शेफा कजगांवी  " अमन के पैग़ाम पे सितारों की तरह चमकें की तीसरी पेशकश…… à¤¯à¥‡ ग़ज़ल अम्न à¤"र शांति का संदेश देने के साथ साथ एक चेतावनी भी है देश के दुश्मनों ,फ़िरक़ा परस्तों à¤"र मज़हब को मोहरा बनाने वालों के लिये, अल्लामा इक़बाल ने कहा था -"कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी" à¤"र  वो बात है हमारी गंगा जमनी तहज़ीब ,हमारा भाईचारा à¤"र हमारी एकता. ….इस्मत जैदी इस यक़ीन के साथ कि हम एक थे एक हैं à¤"र एक रहेंगे ,ये ग़ज़ल पेशे ख़िदमत है. ...........दुनिया का इरादा à¤"र है  …
  • ब्लॉगजगत एक परिवार लेकिन सावधानी हटी दुर्घटना घटी
    इस ब्लॉगजगत मैं रोजाना बहुतों को पढता हूँ, बहुतों की टिप्पणी पाता हूँ बहुतों के सामने अपने विचार प्रकट करता हूँ. कोशिश हर पल यही रहती है की समाज  मैं  रहने वाले दो दिलों के बीच  हमेशा प्रेम बना रहे.  जिस समाज मैं हम रहते हैं वहाँ आज भी अमन à¤"र शांति कोई बड़ी प्रॉब्लम नहीं है. हमारी बड़ी प्रॉब्लम है, ग़रीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा .अगर  इन का हल जल्द नहीं निकाला गया तो यकीनन हमारी सबसे बड़ी प्रॉब्लम "समाज मैं  अमन à¤"र शांति का ना होना" ही होगी.  क्योंकि  बेरोजगार तो फिर  खाली दिमाग , शैतान का घर होता…

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Recent Activity:

Trying To Build Society based on Peace and Justice
The one who love Imam e zaman(a.t.f.s) must be prepared to struggle and
labour his self, his pen and his wealth in the way of Imam e
zaman(a.t.f.s)
I remember the words of Imam (a.s), that we are responsible for the
duty, and not for the result. A warm smile washes away the tension of
confusion, as I thank Allah for the presence of my friend, whom Allah
may protect, and guide
IMAM E ZAMANA (a.f.t.s) Bless you And All Your Family those help others
and learn islam.
Syed Mohamad Masoom Abidi
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