यह ख़à¥à¤¶à¥€ सबको मà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤• हो.....
आज शाम से ही घर मैं सब खà¥à¤¶ है ! कल इसà¥à¤²à¤¾à¤® के रहबर , सà¤à¥€ मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤"ं के खलीफा, पैगमà¥à¤¬à¤° इ इसà¥à¤²à¤¾à¤® हजरत मà¥à¤¹à¤®à¥à¤®à¤¦ (स०) के उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•ारी, हज़रत अमीरà¥à¤² मोमिनीन अली अलैहिसà¥à¤¸à¤²à¤¾à¤® का जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤¨ है। आप आदरणीय पैगमà¥à¤¬à¤° इ इसà¥à¤²à¤¾à¤® हजरत मà¥à¤¹à¤®à¥à¤®à¤¦ (स0) के दामाद à¤à¥€ थे .आप का जनà¥à¤® रजब मास की 13वी तारीख को हिजरत से 23वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ मकà¥à¤•ा शहर के विशà¥à¤µ विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ व अति पवितà¥à¤° सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ काबे मे हà¥à¤† था।
कल ख़à¥à¤¶à¥€ का दिन है, हम सब अमीरà¥à¤² मोमिनीन अली अलैहिसà¥à¤¸à¤²à¤¾à¤®, की बताई बातों का ज़िकà¥à¤° करेंगे, à¤"र उनका अमन का पैगाम, सदाचार à¤"र इंसानियत का पैगाम अपने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ तक पहà¥à¤‚चाà¤à¤‚गे जिस से वोह à¤à¤• बेहतरीन इंसान बन सकें. कल घर मैं खीर à¤"र सेवà¤à¤‚ की बहार आà¤à¤—ी, पडोसी à¤"र रिशà¥à¤¤à¥‡à¤¦à¤¾à¤° आà¤à¤‚गे, मà¥à¤¹à¤¬à¥à¤¬à¤¤ à¤"र à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¤¾ बढेगा.
हज़रतअली पैगमà¥à¤¬à¤° की देखरेख मे पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ हà¥à¤à¥¤ हज़रतअली ने अपने à¤à¤• पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ में कहा कि मैं पैगमà¥à¤¬à¤° के पीछे पीछे इस तरह चलता था जैसे ऊà¤à¤Ÿà¤¨à¥€ का बचà¥à¤šà¤¾ अपनी माठके पीछे चलता है। पैगमà¥à¤¬à¤° (स) पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• दिन मà¥à¤à¥‡ à¤à¤• सदà¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° सिखाते व उसका अनà¥à¤¸à¤°à¤¨ करने को कहते थे।
जब आदरणीय मà¥à¤¹à¤®à¥à¤®à¤¦ (स0) ने अपने पैगमबर होने की घोषणा की तो हज़रतअली वह पà¥à¤°à¤¥à¤® वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ थे जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आपके पैगमà¥à¤¬à¤° होने को सà¥à¤µà¥€à¤•ार किया तथा आप पर ईमान लाà¤à¥¤
हज़रत पैगमà¥à¤¬à¤° ने अपने सà¥à¤µà¤°à¥à¤—वास से तीन मास पूरà¥à¤µ हज से लौटते समय ग़दीरे ख़à¥à¤® नामक सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर अलà¥à¤²à¤¾à¤¹ के आदेश से सनॠ10 हिजरी मे ज़िलहिजà¥à¤œà¤¾ मास की 18वी तिथि को हज़रतअली को अपना उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•ारी घोषित किया।
अपने पाà¤à¤š वरà¥à¤·à¥€à¤¯ शासन काल मे उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ अधिकारिक कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° मे सà¥à¤§à¤¾à¤° करके जनता को समान अधिकार पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किये। शासन की à¤"र से दी जाने वाली धनराशि के वितरण मे वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ à¤à¥‡à¤¦ à¤à¤¾à¤µ को समापà¥à¤¤ करके समानता को सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि निरà¥à¤¬à¤² वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ मेरे समीप हज़रत हैं मैं उनको उनके अधिकार दिलाऊà¤à¤—ा।व अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ मेरे समà¥à¤®à¥à¤– नीच है.
हज़रत अली (अ) ने सिखाया : मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ धरà¥à¤® à¤à¤¾à¤ˆ है à¤"र दà¥à¤¸à¤°à¥‡ इंसान तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ इंसानियत के रिशà¥à¤¤à¥‡ से à¤à¤¾à¤ˆ हैं. दोनों का तà¥à¤®à¤ªà¤° अधिकार है. सà¤à¥€ इंसान à¤à¤• दà¥à¤¸à¤°à¥‡ के मददगार हैं.
हज़रतअली (अ की यह कविता मà¥à¤à¥‡ हमेशा से पसंद रही है...
ढूà¤à¥à¤¤à¥‡ हो ज़माने में जो तà¥à¤ में ही निहाठहै,
बेदारी जो तà¥à¤ में है तà¥à¤à¥‡ इलà¥à¤® कहाठहै .
शेफा कजà¥à¤—à¤"ंवी का यह कलाम हज़रात अली (अ) के किरदार को पेश करता है..
मà¥à¤«à¤¼à¤²à¤¿à¤¸ à¤" नादार को गंदà¥à¤® की दे कर बोरियां ,
ख़à¥à¤¦ किया फ़ाक़ा अली ,à¤à¤¸à¥€ केफालत को सलाम ,
ख़तीब ठवक़à¥à¤¤ à¤à¥€, मà¥à¤¶à¥à¤•िल कà¥à¤¶à¤¾ à¤à¥€ रहनà¥à¤®à¤¾ à¤à¥€ हैं
हर इक हाजत रवा करने मदद को आप आठहैं
पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° Nicholson ने अपनी पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• " History of अरब" मैं टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ की "अली à¤à¤• बहादà¥à¤° योदà¥à¤§à¤¾, à¤à¤• बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ परामरà¥à¤¶à¤¦à¤¾à¤¤à¤¾, à¤à¤• सचà¥à¤šà¥‡ दोसà¥à¤¤ à¤"र उदार शकà¥à¤¸à¤¿à¤¯à¤¤ का मालिक था .
यह वोह अली (अ) है जिसकी à¤"लादों ने करà¥à¤¬à¤²à¤¾ मैं शहादत दे के इसà¥à¤²à¤¾à¤® को दहशतगरà¥à¤¦à¥‹à¤‚ से बचाया à¤"र बताया इसà¥à¤²à¤¾à¤® नाम है सबà¥à¤° का, हक के लिठजान को कà¥à¤°à¥à¤¬à¤¾à¤¨ करने का, किसी की जान लेना, किसी को बे इजà¥à¤œà¤¼à¤¤ करने का नाम इसà¥à¤²à¤¾à¤® नहीं है. इमाम हà¥à¤¸à¥ˆà¤¨ (अ०) जो की हज़रात अली(अ) के पà¥à¤¤à¥à¤° थे , उनको उनके à¥à¥¨ साथिà¤"ं ( दोसà¥à¤¤ à¤"र रिशà¥à¤¤à¥‡à¤¦à¤¾à¤°) के साथ , यजीद ने ,जो की à¤à¤• ज़ालिम बादशाह था, ज़à¥à¤²à¥à¤® के साथ करà¥à¤¬à¤²à¤¾ मैं शहीद कर दिया.
इमाम हà¥à¤¸à¥ˆà¤¨ ने यह à¤à¥€ इजाज़त मांगी याज़ेद की फ़ौज से की "मà¥à¤à¤•ो हिंदà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ जाने दो जहां इंसान बसते हैं."
लेकिन इजाज़त ना मिली à¤"र à¤à¥‚खा पà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¾ शहीद कर दिया जालिमों ने.
इंसानियत का पैग़ाम देने वाले इमाम अली (अ.स) की विलादत सà¤à¥€ को मà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤• हो.
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Trying To Build Society based on Peace and Justice
The one who love Imam e zaman(a.t.f.s) must be prepared to struggle and
labour his self, his pen and his wealth in the way of Imam e
zaman(a.t.f.s)
I remember the words of Imam (a.s), that we are responsible for the
duty, and not for the result. A warm smile washes away the tension of
confusion, as I thank Allah for the presence of my friend, whom Allah
may protect, and guide
IMAM E ZAMANA (a.f.t.s) Bless you And All Your Family those help others
and learn islam.
Syed Mohamad Masoom Abidi
MARKETPLACE
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