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Sunday, May 30, 2010

[shia_strength] Few blog post for hindi readers

 

  • फतवे की हकीकत.
  • क्या वोह किसी मज़हब को नहीं मान ते?
  • काश! आज एक 'मोमिन' तो आ जाए यह सब देखने के लिए... अल्लाह के महबूब रसूल की उम्मत की एक बेटी
  • हमने अम्मी, दादी, नानी, मौसी à¤"र भाभी को बुर्क़े की क़ैद से दिलाई निजात
  • इस्लाम के नाम पे धोका
  • फतवे की हकीकत.
    May 30, 2010
    मुसलमान के दो लव्ज़ फतवा à¤"र जिहाद का सबसे ज्यादा ग़लत इस्तेमाल हुआ है. इसके ज्यादा ज़िम्मेदार हम मुस्लिम खुद ही हैं. हमने मौक़ा दिया दूसरे मज़हब को मान नए वलून को à¤"र उन्हूने इस्पे एतराज़ किया, मज़ाक...
    क्या वोह किसी मज़हब को नहीं मान ते?
    May 30, 2010
    आज के दौर मैं किसी मुस्लमान का ग़ैर मुस्लिम से शादी केर लेना एक आम सी बात होती जा रही है .ख़ास तौर पे उन जघून पे जहां घिर मुस्लिम की तादात ज्यादा है. जब कभी ऐसा मौक़ा आता है तोह , मुस्लिम फॅमिली इस...
    काश! आज एक 'मोमिन' तो आ जाए यह सब देखने के लिए... अल्लाह के महबूब रसूल की उम्मत की एक बेटी
    May 30, 2010
    काश! आज एक 'मोमिन' तो आ जाए यह सब देखने के लिए... अल्लाह के महबूब रसूल की उम्मत की एक बेटीयह आवाज़ है एक ऐसी मोहतरमा की जो अलाह की किताब मैं सुधार की बात करती हैं बुर्क़े को कुप्रथा का नाम देती हैं....
    हमने अम्मी, दादी, नानी, मौसी à¤"र भाभी को बुर्क़े की क़ैद से दिलाई निजात
    May 30, 2010
    हमने अम्मी, दादी, नानी, मौसी à¤"र भाभी को बुर्क़े की क़ैद से दिलाई निजातघबराएँ नहीं यह मेरा नहीं एक मुस्लिम मोहतरमा की हरकत है à¤"र इस्पे फख्र केर रही है. उसका कहना है की अल्लाह के हुक्म की इस कुप्रथा को...
    इस्लाम के नाम पे धोका
    May 30, 2010
    मैं एक ब्लॉग पढ़ रह था जिमें इस्लाम मैं सुधर की बात एक मुसलमान मोहतरमा केर रही थीं à¤"र वाह वाह केर रहे थे वोह जिनका मज़हब ही इस्लाम नहीं था. मोहतरमा कुछ सवाल उठा रही थीं मुसलमानों को निशाना बना के, à¤"र...
    कुरान के बारे मैं
    May 30, 2010
    हेजाब या आवरण à¤"र इस्लाम
    May 30, 2010
    हेजाब या आवरण एक ऐसा विषय है जिसपर हर थोड़े समय के पश्चात संचार माध्यमों में बात होती रहती है। आवरण एक ऐसी सामाजिक रीति है जिसकी सीमाà¤"ं तथा विभिन्नताà¤"ं का समाज की शान्ति एवं सुरक्षा पर अत्यधिक प्रभाव...
    सहिफा इ सज्जडिया

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    Trying To Build Society based on Peace and Justice
    The one who love Imam e zaman(a.t.f.s) must be prepared to struggle and
    labour his self, his pen and his wealth in the way of Imam e
    zaman(a.t.f.s)
    I remember the words of Imam (a.s), that we are responsible for the
    duty, and not for the result. A warm smile washes away the tension of
    confusion, as I thank Allah for the presence of my friend, whom Allah
    may protect, and guide
    IMAM E ZAMANA (a.f.t.s) Bless you And All Your Family those help others
    and learn islam.
    Syed Mohamad Masoom Abidi
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